Friday, August 28, 2009
जो व्यक्ति धन की देवी को शीघ्र प्रसन्न करना चाहते है उन्हें बालो में आंवले का शुद्ध तेल लगाना चाहिए।
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छोटी बातों के बड़े फायदे
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गोमती चक्र
यदि बीमार व्यक्ति ठीक नही हो पा रहा हो अथवा दवाइया नही लग रही हो तो उसके सिरहाने पाँच गोमती चक्र "ॐ जूं सः" मंत्र से अभिमंत्रित करके रखे , रोगी को शीघ्र ही स्वाथ्य लाभ होगा।
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गोमती चक्र
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पारद गणपति
पारद गणपति रिद्धी सिद्दी के अधिकारी देवता माने गए है अतः बुधवार के दिन इनकी स्थापना ही पूर्ण सफलता की सूचक है। यदि पारद गणपति को बुधवार के दिन अपनी दुकान में स्थापना करे तो निरंतर वृद्धि होती है।
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पारद गणपति
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Thursday, August 27, 2009
श्री यन्त्र
श्री यन्त्र तो लक्ष्मी का आधारभूत है और अपने आप में अत्यन्त ही विलक्षण है। जिसके घर में श्री यन्त्र स्थापित होता है उसके घर में दरिद्रता आ ही नही सकती। यदि श्री यन्त्र को अपने दुकान में स्थापित कर दे तो व्यापार में निरंतर वृद्धि होती है।
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श्री यन्त्र
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Tuesday, August 25, 2009
गोमती चक्र की पूजा

होली, दिवाली और नव रात्रों आदिपर गोमती चक्र की विशेष पूजा होती है। सर्वसिद्धि योग, अमृत योग और रविपुष्य योग आदि विभिन्न मुहूर्तों पर गोमती चक्र की पूजा बहुत फलदायक होती है। धन लाभ के लिए ११ गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें तथा उनके सामने ॐ श्रींनमः का जाप करें।
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दक्षिणावर्ती शंख
वेद पुराणों के अनुसार समुन्द्र मंथन के समय दक्षिणावर्ती शंख की उत्पत्ति हुई जिसे भगवान विष्णु ने स्वयं अपने दाहिने हाथ में धारण कर रखा है। यह हर प्रकार की सुख सम्पति का दाता है। इसका मिलना बहुत ही दुर्लभ है। जिस घर में यह शंख होता है उस घर में अटूट लक्ष्मी निवास करती है। दक्षिणावर्ती शंख से सूर्य को जल देने से मानसिक, शारीरिक, और पारिवारिक कष्ट दूर होते है तथा मान सम्मान में वृद्धि होती है। इसे पूजा स्थान पर रखकर पूजा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
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दक्षिणावर्ती शंख की महिमा
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Monday, August 10, 2009
विष्णु सहस्त्रनाम के द्वारा कष्टों का उपचार
विष्णु सहत्रनाम महाशक्तिशाली स्तोत्र है। विष्णु सहस्त्रनाम के १०८ श्लोकों का पाठ करने से सभी प्रकार के ग्रह दोषों और कष्टों का निराकरण हो कर परम शान्ति प्राप्त होती है। अश्विनी नक्षत्र से रेवती नक्षत्र तक २७ नक्षत्र होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र में चार चरण होते हैं। इस प्रकार २७ * ४ = १०८ हुए। अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मे जातक को प्रथम श्लोक का पाठ करना चाहिए। भरणी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मे जातक को पंचम श्लोक का पाठ करना चाहिए। इस प्रकार क्रमशः प्रत्येक व्यक्ति सम्बंधित नक्षत्र शान्ति के लिए पाठ करें। जिसे अपने नक्षत्र का ज्ञान ना हो, वह सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।
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Saturday, August 08, 2009
नागकेसर
यह बहुत ही पवित्र और उर्जा दायक वनस्पति है। भगवानशिव को प्रसन्न करने के लिए इससे बेहतर चढावा नही है। जो कोई शिवरात्री को भगवान् शिव पर नागकेसर चढाता है, उसका संपूर्ण वर्ष अच्छा निकलता है।
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व्यापार बढ़ाने के लिए कुछ टोटके
गोमती चक्र लक्ष्मी का स्वरुप है। ११ गोमती चक्र एक लाल पोटली में बाँध कर दूकान में रखने से व्यापार अच्छा चलेगा।
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हार्पीज त्वचा रोग
हार्पीज से पीड़ित त्वचा पर ग्वार पाठे के गुदे को लगाने से पीड़ा कम होगी और २-४ दिनों में रोग जाता रहेगा।
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Monday, August 03, 2009
पुण्य व स्वास्थय प्रदाता आंवला
पद्मा पुराण के एक प्रसंग में भगवान् शंकर कार्तिकेय से कहते हैं : " बेटा ! आंवले का फल परम पवित्र है। यह भगवान् विष्णु को प्रसन्न करनेवाला एवं शुभ माना गया है।
आंवला खाने से आयु बढती है।
इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगा कर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर एश्वर्य की प्राप्ति होती है।
जिस घर में आंवला सदा मौजूद रहता है, वहां दैत्य और राक्षश कभी नही आते।
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आंवले का रस प्रयोग कर स्नानं करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। आंवले के दर्शन, स्पर्श तथा नाम उच्चारण से भगवान् विष्णु संतुष्ट हो कर अनुकूल हो जाते हैं। अतः अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए।
जो भगवान् विष्णु को आंवले का बना मुरब्बा एवं नैवेध्य अर्पण करता है, उस पर वे बहुत संतुष्ट होते हैं।
आंवले का सेवन करने वाले मनुष्यों की उत्तम गति होती है।
रविवार, विशेषतः सप्तमी को आंवले का फल त्याग देना चाहिए।
शुक्रवार, प्रतिपदा, सस्ठी, नवमी, अमावस्या और संक्रांति को आंवले का सेवन नही करना चाहिए।
आंवला खाने से आयु बढती है।
इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगा कर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर एश्वर्य की प्राप्ति होती है।
जिस घर में आंवला सदा मौजूद रहता है, वहां दैत्य और राक्षश कभी नही आते।
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आंवले का रस प्रयोग कर स्नानं करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। आंवले के दर्शन, स्पर्श तथा नाम उच्चारण से भगवान् विष्णु संतुष्ट हो कर अनुकूल हो जाते हैं। अतः अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए।
जो भगवान् विष्णु को आंवले का बना मुरब्बा एवं नैवेध्य अर्पण करता है, उस पर वे बहुत संतुष्ट होते हैं।
आंवले का सेवन करने वाले मनुष्यों की उत्तम गति होती है।
रविवार, विशेषतः सप्तमी को आंवले का फल त्याग देना चाहिए।
शुक्रवार, प्रतिपदा, सस्ठी, नवमी, अमावस्या और संक्रांति को आंवले का सेवन नही करना चाहिए।
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