Thursday, April 22, 2010

पंचमुखी रुद्राक्ष

अधिकतर मालाएं पंचमुखी रुद्राक्ष की होती है। पंचमुखी रुद्राक्ष यश और मनोशान्ति देता है। यह रक्त चाप और मधु मह को नियंत्रण करता है। तीन कच्चे दानो को रात में ताम्बे के बर्तन में पानी में भिगो कर सुबह खली पेट उस पानी को पीने से रक्त चाप, मधु मह और उदर रोग नियंत्रण होता है।

चतुर्मुखी रुद्राक्ष

चतुर्मुखी रुद्राक्ष को ब्रहमाजी का आशीर्वाद प्राप्त है। इससे चारों दिशाओं में कीर्ति फैलती है। छात्र, शिक्षक, एवं दिमागी काम करने वाले इसे धारण करें। बच्चे इसका प्रयोग एकाग्रता व स्मृति विकास के लिए कर सकते है।

त्रिमुखी रुद्राक्ष

त्रिमुखी रुद्राक्ष अग्नि का सूचक है। त्रिमुखी रुद्राक्ष को उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उदर रोग, ज्वर, नेत्र विकार और कर्क रोग में उपयोग किया जाता है।

द्विमुखी रुद्राक्ष

द्विमुखी रुद्राक्ष को शिवजी के अर्धनारीश्वर रूप का वरदान प्राप्त है। पद्मपुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को अग्नि का वरदान प्राप्त है। यह रुद्राक्ष अच्छे पारिवारिक जीवन, सभी से अच्छे सम्बन्ध और विवाह सिद्धि हेतु उपयोगी है। जो अविवाहित है, जिन्हें विवाह योग्य सम्बन्ध पाने में अड़चन है तथा जिनके संबंधों में तनाव है वे इसे पहने।

Saturday, April 17, 2010

एक मुखी रुद्राक्ष

एक मुखी रुद्राक्ष सबसे शुभ रुद्राक्ष है। एक मुखी रुद्राक्ष को स्वयं शिवजी का वरदान प्राप्त है। शिव पुराण के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष रिद्धि व सिद्धि दोनों दिलाता है। इससे नेतृत्व गुण विकसित होता है। और तनाव पूर्ण स्थिति से निपटने की क्षमता आती है। इस रुद्राक्ष का नियामक ग्रह सूर्य है। इस ग्रह के दूषित होने पर एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ग्रह दोष मिटता है।